सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकॉउंटेबिलिटी दिल्ली में स्थित एक संस्था है, जो भारत में वित्तीय जवाबदेही को मज़बूत करने और इसे बेहतर करने के लिये काम करती है। सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकॉउंटेबिलिटी स्मितु कोठारी फ़ेलोशिप 2020 के लिए आवेदन आमंत्रित करती है।
2018 में शुरू की गयी इस फ़ेलोशिप का उद्देश्य, युवा लेखकों को समीक्षात्मक रूप से ऋण और ’विकास’ से परे विकास वित्त की दुनिया को देखने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस साल हम दस फ़ेलोशिप प्रदान करेंगे, जिसमें प्रत्येक फ़ेलो को 25,000 रुपये की फ़ेलोशिप राशि दी जायेगी। यहाँ फ़ेलोशिप के बारे में अधिक जानकारी देखें।
तीन महीने तक चलने वाली फ़ेलोशिप, मध्य-नवंबर और मध्य-फरवरी 2021 के बीच होगी, जिसमें नीचे उल्लिखित विषयों से संबंधित विशिष्ट क्षेत्र / परियोजनाओं पर व्यापक, गहन-शोध के साथ इनवेस्टिगेटिव लेख, फोटो निबंध या लघु फिल्म बनाना शामिल है।
प्रस्तावितविषय:
- इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बनाम निजी निवेश – किसका लाभ, किसका नुकसान?
- कोविड के दौरान और कोविड के बाद भारतीय कोयला क्षेत्र
- क्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए ज़ोर देना उचित है?
- कोविड के बाद समावेशी आर्थिक सुधार के लिए रोड-मैप?
यह फ़ेलोशिप 35 वर्ष से कम आयु के सभी भारतीय नागरिकों के लिये, ऊपर दिये गये विषयों पर, अंग्रेज़ी और अन्य भारतीय भाषाओं के लेखकों के लिए उपलब्ध है।
आवेदनकेलियेआवश्यकतायें:
कृपया 6 नवंबर 2020 तक सब्जेक्ट लाइन में, ‘स्मितु कोठारी फेलोशिप’ लिखकर, fellowship@cenfa.org पर निम्नलिखित दस्तावेज़ों और सामग्रियों के साथ अपना कवर लेटर और बायोडाटा भेज दें:
- ऊपर दिये गये विषयों में से किसी एक पर 500-800 शब्दों में रिसर्च प्रोपोज़ल लिख कर भेजें जिसमें विषय चुनने के पीछे तर्क और आप प्रस्तावित अध्ययन को कैसे करना चाहते हैं, उसका उल्लेख हो।
- आपके पूर्व प्रकाशित कामों के दो सैंपल।
एक से अधिक विषयों पर प्रस्ताव भेजे जा सकते हैं।
यदि आवेदन न्यूनतम मानक पर खरे नहीं उतरते हैं तो सी.एफ.ए. के पास फ़ेलोशिप नहीं प्रदान करने का अधिकार है ।
अपेक्षितडेलिवरेबल्स:
- फ़ेलोशिप के अंत तक प्रस्तावित विषय पर 1500-2000 शब्दों का एक व्यापक विश्लेषणात्मक लेख।
- फ़ेलोशिप पूरा होने के बाद सी.एफ.ए. को दिये गये विषय पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
फ़ेलो को अपने लेख प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
गाइड (मेंटर):
चयनित फ़ेलो साथियों को वरिष्ठ पत्रकार राकेश देवान द्वारा गाइड किया जायेगा। वर्तमान में वो सर्वोदय प्रेस सेवा के संपादक हैं; उन्होंने दैनिक भास्कर, तहलका और अन्य प्रकाशनों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है।
पात्रता:
- सभी के लिये उपलब्ध है।
- युवा लेखकों को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कॉपीराइट:
- काम का सारा कॉपीराइट लेखकों के पास रहेगा । हालांकि, लेखक को उचित क्रेडिट देने के बाद, सी.एफ.ए. को काम का अनुवाद करने और प्रकाशित करने का अधिकार है।
- दिल्ली में एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम में भाग लेने के लिये फेलो की आवश्यकता हो सकती है।
संगठनकेबारेमें:
सेंटर फॉर फ़ाइनेंशियल अकॉउंटेबिलिटी (सी.एफ.ए.) भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वित्तीय संस्थानों की भूमिका का समालोचनात्मक विश्लेषण, मॉनिटरिंग और प्रत्यालोचना करने और वित्तीय संस्थानों का विकास, मानवाधिकारों और पर्यावरण पर प्रभाव से जुड़े मुद्दों पर काम करती है।
सी.एफ.ए. विभिन्न सिविल सोसाइटी समूहों, सामाजिक आंदोलनों और सामुदायिक समूहों के साथ मिलकर काम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि वित्तीय संस्थान उन लोगों के लिए पारदर्शी और जवाबदेह रहें, जिनका अस्तित्व उनकी सेवा करने के लिये है। हालाँकि, हम दक्षिण एशिया क्षेत्र को भी देखते हैं और इक्कीसवीं सदी में अंतरराष्ट्रीय वित्त के वैश्विक स्वरूप को देखते हुए एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जोड़ते हुए चिंतन करना चाहते हैं। सी.एफ.ए. के बारे में और अधिक जानकारी यहाँ उपलब्ध है।
स्मितुकोठारीकेबारेमें:
स्मितु कोठारी एक प्रतिष्ठित पर्यावरणविद् और विद्वान-कार्यकर्ता थे, जो पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और मानवाधिकारों के मुद्दों से जुड़े हुए थे। अपने पूरे जीवन के दौरान, उन्होंने सामूहिक रूप से एक राष्ट्रीय और वैश्विक विकल्प बनाने की कोशिश की, जो सामाजिक रूप से न्यायसंगत और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल हो।
भौतिकी, संचार और समाजशास्त्र में प्रशिक्षित, कोठारी ने अमेरिका में कॉर्नेल और प्रिंसटन विश्वविद्यालयों में पढ़ाया। वह ‘द इकोलॉजिस्ट एंड डेवलपमेंट’ के एक ‘कंट्रीब्यूटिंग एडिटर’ भी थे। एक विपुल लेखक और संपादक के रूप में, उन्होंने समकालीन आर्थिक और सांस्कृतिक विकास, विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण, विकासात्मक विस्थापन और सामाजिक आंदोलनों के प्रत्यालोचना पर विस्तार से लिखा। उनके द्वारा संपादित कुछ पुस्तकें हैं: वॉइसेसऑफस्ट्रगल: सोशलमूवमेंटइनएशिया (2006); वॉइसेसऑफसैनटी, इनसर्चऑफडेमोक्रेटिकस्पेस (2002); एवाटरशेडइनग्लोबलगवर्नेंस? एनइंडिपेंडेंटअसेसमेंटऑफ़दवर्ल्डकमीशनऑनडैम्स; दवैल्यूऑफ़नेचर: इकोलॉजिकलपॉलिटिक्सइनइंडिया (2003); आउटऑफ़दन्यूक्लियरशैडो (ज़ियामियांकेसाथ, 2001); रीथिंकिंगह्यूमनराइट्स: चैलेंजेसफॉरथ्योरीएंडएक्शन (1991); दनॉन–पार्टीपोलिटिकलप्रोसेस: अनसर्टेनअल्टेरनेटिव्स (एच. सेठीकेसाथ, 1988)।