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जब देश के ज्यादातर लोगों को सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है, सरकार ने उन्हें छोड़ दिया है। लगभग सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती और कुछ प्रमुख क्षेत्रों में आवंटन कम करके सरकार ने अपने ही लोगों पर घातक प्रहार किया है। जैसे-जैसे मंदी आएगी, स्तिथि और चिंताजनक बनती जाएगी। क्या सरकार ही स्तिथि के बिगड़ने का इंतजार कर रही है ताकि आखिरी मुकाम पर अन्नदाता की छवि पेश कर सकें?

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