
फिर से नोटेबंदी का वार | हमारा पैसा हमारा हिसाब
किसी देश की करेंसी या मुद्रा बस विनिमय का माध्यम नहीं बल्कि उसकी विश्वसनीयता और आर्थिक मज़बूती को भी बयां करती है। लेकिन हमारी सरकार ने एक बार फिर से इनके साथ खिलवाड़ किया।...
किसी देश की करेंसी या मुद्रा बस विनिमय का माध्यम नहीं बल्कि उसकी विश्वसनीयता और आर्थिक मज़बूती को भी बयां करती है। लेकिन हमारी सरकार ने एक बार फिर से इनके साथ खिलवाड़ किया।...
किसी को उम्मीद नहीं थी कि सेबी 2 महीने में अपनी अडानी जांच पूरी कर लेगा। अब उसने छह महीने की मोहलत मांगी है। सवाल यह है कि क्या यह जांच अगले साल आने...
तीस साल पहले नर्मदा बचाओ आंदोलन के विरोध के चलते विश्व बैंक को अपनी परियोजनाओं के प्रभावों की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र निरिक्षण पैनल की स्थापना करनी पड़ी थी। ये पैनल कितना...
दो दशक तक नई पेंशन योजना को आज़माने के बाद कई राज्य फिर से पुरानी की ओर जा रहे हैं। लाखों कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद बेहतर जीवन की मांग कर रहे हैं, वहीं केंद्र...
अचानक से एक के बाद एक अमेरिकी बैंक धराशायी हो रहे है। इस बार बॉन्ड मार्केट्स ने उन्हें फेल कर दिया है। आज भारतीय बैंक भी जनता को छोड़कर बाजार में अधिक निवेश पर...
क्या आप जानते हैं कि हर्षद मेहता केस अब भी अदालत में चल रहा है? सत्यम घोटाले और एनएसई को-लोकेशन घोटाले के आरोपियों ने हाल ही में सेबी के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीत ली...
जब देश के ज्यादातर लोगों को सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है, सरकार ने उन्हें छोड़ दिया है। लगभग सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती और कुछ प्रमुख क्षेत्रों में आवंटन कम करके सरकार...
अगले दशक में पृथ्वी 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान से आगे बढ़ जाएगी। शर्म अल-शेख में आयोजित COP 27 जलवायु आपदा से निपटने में एक फ्लॉप साबित हुआ। हर देश और हर समूह ने केवल...
नोटबंदी की बात करने से केंद्र सरकार हमेशा कतराती रही है। लेकिन पिछले हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई शुरू की तो उन्हें मजबूर होना पड़ा। केंद्र सरकार ने...
मुद्रास्फीति को 6% की सीमा तोड़े 9 महीने से अधिक समय गुजर चुका है। कानून के अनुसार, आरबीआई को महंगाई को नियंत्रित न कर पाने पर अपनी विफलता पर सरकार को जवाब देना चाहिए।
दुनिया भर के लोगों की खुशहाली बयां करने वाली विश्व भुखमरी सूचकाँक रिपोर्ट ने भारत को 121 देशों में से 107वां स्थान दिया। सरकार ने एक बयान जारी कर इस रिपोर्ट को गलत बताया...
प्रधानमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुफ्त सुविधाओं के खिलाफ आम सहमति बनती दिख रही है। गरीबों के लिए मुफ्त या सब्सिडी वाला अनाज, बिजली या स्वास्थ्य सेवाएं अचानक सभी वित्तीय चिंताओं का मूल...
पूरी दुनिया खाद्य संकट से जूझ रही है। अगले साल खाद्य उत्पादन में और भी कमी आने की आशंका है। यानि की खाद्य सामग्रियों की कीमतें बढ़ जाएंगी। मुक्त व्यापार पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय संधियों...
जीएसटी की शुरुआत टैक्स प्रणाली को सरल बनाने और डबल टैक्स से बचने के लिए की गयी थी। लेकिन अब हर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीज पर टैक्स देना पड़ रहा...
किसानों के लंबे आंदोलन की वजह से बिजली बिल को वापस ले लिया गया था। लेकिन अब सरकार इसे पार्लियामेंट के अगले सत्र में वापस लाना चाहती है।