By

पारदर्शी व्यवस्था में संविधान का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह एक मूलभूत ढांचा प्रदान करता है जो सरकार के कार्यों को परिभाषित और सीमित करता है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है और सत्ता के दुरुपयोग को रोका जा सकता है। संविधान सरकार के विभिन्न अंगों (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) की शक्तियों और कार्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। यह शक्तियों के केंद्रीकरण और दुरुपयोग को रोकता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी कार्य कानून के अनुसार हों। संविधान कानून के शासन को स्थापित करता है, जिसका अर्थ है कि देश पर शासन व्यक्तियों की मनमानी से नहीं, बल्कि स्थापित कानूनों से चलेगा। यह एक समान और निष्पक्ष व्यवस्था बनाता है। संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिनकी रक्षा सरकार को करनी होती है। सूचना का अधिकार जैसे प्रावधान, जो अक्सर संवैधानिक सिद्धांतों से प्रेरित होते हैं, नागरिकों को सरकार के कार्यों के बारे में जानकारी मांगने का अधिकार देते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।पारदर्शिता और जवाबदेही सुशासन के दो प्रमुख तत्व हैं। संविधान ऐसा प्रावधान करता है जो सरकारी निकायों को उनके निर्णयों और कार्यों के लिए लोगों के प्रति जवाबदेह बनाता है, जैसे कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) जैसे संवैधानिक निकायों की स्थापना। जब सरकार संविधान द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार पारदर्शी तरीके से काम करती है, तो नागरिकों का सरकार में विश्वास बढ़ता है। यह व्यवस्था को वैधता प्रदान करता है और सरकार व लोगों के बीच विश्वास पैदा करता है। पारदर्शिता भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है।

संवैधानिक ढांचा सरकार के हर स्तर पर खुलेपन और ईमानदारी की संस्कृति को बढ़ावा देता है। संविधान एक पारदर्शी और जवाबदेह शासन प्रणाली की नींव के रूप में कार्य करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकार जनहित में और कानून के दायरे में काम करे।सर्वोच्च न्यायालय ने कई ऐतिहासिक निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) के तहत एक मौलिक अधिकार है। यह अधिकार नागरिकों को सरकार के कामकाज के बारे में जानने का हक देता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।सरकारी योजनाओं और सेवाओं को ऑनलाइन करने से प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आई है और नागरिकों के लिए सूचना तक पहुंच आसान हो गई है। केंद्र सरकार ने कई कल्याण योजनाओं (जैसे पीएम किसान) में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का इस्तेमाल बढ़ाया है, जिससे सब्सिडी या लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजी जाती है। इस तरह के ट्रांसफर सिस्टम में बिचौलियों की भूमिका कम होती है और लीकेज की संभावना घटती है। सार्वजनिक खरीद-क्रय के लिए केंद्र सरकार ने जीईएम पोर्टल लॉन्च किया है, जिससे बोली लगाने, ऑक्शन प्रक्रिया और लेनदेन डिजिटल रूप से हो सकते हैं। जीईएम के माध्यम से “इ-बिडिंग” और रिवर्स ऑक्शन जैसी प्रणालियां हैं, जिससे खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ी है। केंद्र सरकार के डेटा और ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम ने पिछले दशक में कुल 3.48 लाख करोड़ रूपए की बचत की है, जिसे “लीकेज को रोकने” वाला मुख्य कारक माना गया है।

संविधान ही हमें यह बताता है कि समूची व्यवस्था कैसे काम करेगी । इसके अंतर्गत चुनाव प्रणाली, सरकार का गठन (व उसका निलंबन भी), शक्तियों का बंटवारा, अधिकारों की रक्षा इत्यादि जैसे गंभीर एवं जटिल मुद्दे आते हैं । संविधान का महत्त्व इसलिए भी है कि यह सरकारों को भी दिशा दिखाने का कार्य करता है।स्वतंत्र संस्थान लोकतंत्र का सुरक्षा कवच होते हैं। यदि वे पक्षपातपूर्ण दिखने लगें, तो जनता का भरोसा डगमगाता है।चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और न्यायपालिका जैसे संस्थानों पर दबाव के आरोप सरकार पर लगते रहते हैं। कई नागरिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मीडिया की स्वायत्तता और इंटरनेट प्रतिबंधों पर चिंता जताई है। भारतीय संविधान “सहकारी संघवाद” पर आधारित है। कई राज्य सरकारें शिकायत करती हैं कि केंद्र द्वारा नीतिगत और वित्तीय निर्णयों में राज्यों से पर्याप्त परामर्श नहीं लिया जाता है।एक लोकतांत्रिक समाज में न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। ये सिद्धांत न्यायपालिका में जनता के विश्वास की आधारशिला के रूप में काम करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि न्याय न केवल किया जाए बल्कि न्याय होते हुए भी दिखे। जब नागरिकों को अदालती कार्यवाही और फैसलों के बारे में जानकारी मिलती है, तो यह कानूनी व्यवस्था में समझ और विश्वास को बढ़ावा देता है। दूसरी ओर, जवाबदेही सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ एक जांच के रूप में कार्य करती है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में मदद करती है।

राज कुमार सिन्हा | बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ

A pop-up is always irritating. We know that.

However, continuing the work at CFA without your help, when the odds are against us, is tough.

If you can buy us a coffee (we appreciate a samosa with it!), that will help us continue the work.

Donate today. And encourage a friend to do the same. Thank you.