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तमिलनाडु राज्य के चेन्नई का एन्नोर क्षेत्र वर्षों से औद्योगिक परियोजनाओं की एक श्रृंखला का केंद्र बना है, मुख्य रूप से थर्मल पावर स्टेशन, उर्वरक कारखाने, औद्योगिक बंदरगाह, ऑइल एण्ड पट्रोलीअम इंडस्ट्रीज़ इत्यादि उद्योग इस क्षेत्र मे बड़े पैमाने पर पाए जाते है। तटीय समुदाय वर्षों से इनसे होने वाले प्रदूषण के प्रभाव का सामना कर रहा है। उनकी आजीविका,पोषण और स्वास्थ्य पर- प्रदूषित समुद्र,नदी, नाले, भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण से बुरी तरह से प्रभाव हुआ हैं। तटीय व आम भूमि पर लगातार उद्योगों का अतिक्रमण और भूमि के इस्तेमाल पद्धति मे बदलाव से स्थानीय लोगों की परिस्थिति और विकट हो रही है। वर्षों से इन तटीय समुदायों ने विभिन्न स्तरों पर अपनी चिंताओं को उठाया है लेकीन इससे नए उद्योगों के निर्माण तथा प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई है। हमारे अनुसार इसका एक मुख्य कारण है कि नए उद्योगों को बैंकों द्वारा लगातार वित्तीय मदद मिल रही है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्था निवेश करते समय परियोजना के स्थानीय परिणामों की चिंता किए बिना ऐसी परियोजनाओं का वित्तपोषण करते है। एक तरफ तो विकास की बात की जाती है लेकिन उससे होने वाले नुकसान की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है ऐसे ही विकास से विनाश की और बढ़ते एन्नोर क्रीक के लोगो के लिए चुनौतियां जारी है।

एन्नोर क्षेत्र 

एन्नोर क्षेत्र चेन्नई के पूर्व में है जहां दो मुख्य नदियाँ समुद्र को मिलती है – कोषष्ठलाइयर नदी और अरानी नदी। उत्तरी ओर से पुलिकट वाइल्ड्लाइफ अभयारण्य है। एन्नोर खाड़ी अरानी और कोषष्ठलाइयर नदी के मुख से बनती है और बे ऑफ बेंगाल मे जा कर मिलती है। एन्नोर खाड़ी पर्यावरणीय रूप से ही नहीं परंतु स्थानीय लोगों के जीने का और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। मछुआरे और अन्य समुदाय वर्षों से इस खाड़ी और नदियों पर जी रहे है। चेन्नई बंदरगाह के उत्तरी और स्थित होने की वजह से बहुत बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र मे उद्योगीकरण हुआ है। इस क्षेत्र मे सबसे ज्यादा थर्मल पावर प्लांट और उनसे होने वाले परिणामों से स्थानीय लोग पीड़ित है। इसमें अन्य उद्योगों के विकास से क्षेत्र मे केमिकल का प्रदूषण बहोत बढ़ा है।

फ्लाई ऐश से प्रभाव 

1955-60 मे जब से पहला थर्मल पावर प्लांट स्थापित हुआ है तब से एन्नोर क्षेत्र कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट का गढ़ बन गया है। थर्मल पावर प्लांट बिजली उत्पादन के उप-उत्पाद के रूप में उत्पन्न कोयले की राख को थर्मल पावर प्लांट के आसपास के बड़े ऐश तालाब में जमा करते हैं। TANGEDCO द्वारा संचालित ऐसा ही एक कोल ऐश तालाब 1830 मेगावाट उत्तरी चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन से राख प्राप्त करता है। 1000 एकड़ में फैला यह बांध तिरुवल्लुर जिले के सेप्पक्कम गांव में खेत और नमक के खेतों का अधिग्रहण करके बनाया गया है। कोयले की राख को घोल के रूप में पाइपलाइनों के माध्यम से तालाब में पंप किया जाता है। खराब रख-रखाव, पुरानी पाइपलाइनों के कारण, कोयले की राख के घोल ने राख तालाब के बाहर लगभग 344 हेक्टेयर भूमि और जल निकायों को दूषित कर दिया है। सालो से पाइपलाइनों के रिसाव से नदी और खाड़ी के क्षेत्र लगातार दूषित हो रहे है। फ्लाई ऐश तालाब भी सालों से लाइन न डालने की वजह से क्षेत्र की जमीन, भूजल और अन्य स्त्रोतों को दूषित कर रहे है। पावर प्लांट से ले कर राख तालाब तक ले जाने वाली पाइप लाइन वर्षों से रिपेयर या न बदले जाने की वजह से जर्जर स्थिति में है और पाइप लाइन से राख और गर्म पानी के रिसाव होता है। जब यह राष्ट्रीय हरित न्यायालय के सामने लाया गया तो उन्होंने भी इस बात को ध्यान मे लेते हुए, 5 जुलाई 2022 के आदेश मे हरित न्यायालय ने TANGEDCO (तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन) को लताड़ा था और जल्द से जल्द पाइप्लाइन बदलने के लिए निर्देश दिए थे। आज भी जर्जर पाइप बदलने का काम चालू ही है।

सामाजिक और पर्यावरणीय असर 

  • मार्च 2022 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित की गई संयुक्त समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट  के अनुसार –
  • 56 लाख टन से अधिक कोयले की राख नदी के तल पर फैली हुई है, जिसमें 1 फीट से 8 फीट तक की गहराई में राख जमा है।
  • फ्लाई ऐश तालाब निर्माण और राख प्रदूषण के कारण प्राकृतिक जल निकासी पैटर्न में काफी बदलाव आया है। इसका स्थानीय जल विज्ञान और बाढ़ पर प्रभाव पड़ा है।
  • खाड़ी और नदी की सतई मिट्टी मे कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, सीसा, और  जिंक  की मात्र पाई गई है जो सुरक्षित स्तर से अधिक मात्रा में हैं।
  • थर्मल पावर प्लांट और फ्लाई ऐश से पूरे क्षेत्र का भूजल भी दूषित हुआ है और उसमें ज्यादा प्रमाण में घुला हुआ नमक, एल्यूमीनियम, आर्सेनिक, सीसा, मैंगनीज और जिंक पाया गया है।

परिणाम स्वरूप गांवों में पानी उपयोग करने व पीने योग्य नहीं है ,ग्रामीण पानी खरीदने पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा 500 -1000 रुपये के बीच खर्च करते हैं। स्थानीय पंचायत के माध्यम से पाइपलाइनों के द्वारा आपूर्ति किया जाने वाला पानी भी दूषित है, पानी का स्वाद खराब है या खारा है, या कोयले की राख के घोल से दूषित हैं। संयुक्त विशेषज्ञ समिति की अप्रैल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार एन्नोर क्षेत्र के लिए कैंसर और गैर-कैंसर रोग का जोखिम बहुत अधिक था,और यह खतरा बच्चों सबसे ज्यादा है क्योंकि वह धूल व मिट्टी में खेलते है। प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए निवासी माह में 800 – 1000 रुपये अपना इलाज करवाने के लिए खर्च करते है, कई बार लोग गहने गिरवी रख के अपना इलाज करवाते है।

हर महीने एक व्यक्ति मजदूरी के रूप में लगभग 7000 से 8000 रुपये कमाता हैं, और वह भी तब जब वह अनुपस्थिति की छुट्टी लिए बिना नियमित रूप से काम पर जाए। जो कुछ भी कमाई होती है वह मुख्य रूप से पीने का पानी खरीदने और अस्पताल के खर्चों का भुगतान करने में चला जाता है। ऐसे में यहाँ पर जीवन यापन करना बहुत मुश्किल है। समस्या बहुत बड़ी है और यह और भी बड़ी हो सकती है। रातोंरात हल नहीं किया जा सकता है।

आठ गांवों के लगभग 9,000 मछुआरे- कट्टुकुप्पम, मुगथवाराकुप्पम, एन्नोरेकुप्पम, थझनकुप्पम, नेट्टुकुप्पम, सिवनपदाईवीथी कुप्पम, पेरियाकुप्पम और चिन्नाकुप्पम – तांगेडको द्वारा पारंपरिक मछली पकड़ने के मैदान माने जाने वाले क्रीक के कुछ हिस्सों में मलबे को फेंकने के बाद अपनी आजीविका खो दी। सभी इलाके वायु प्रदूषण से पीड़ित हैं जो कई स्वास्थ्य खतरों का कारण बनता है। एन्नोर क्रीक और कोसस्थलैयार नदी के क्षरण के कारण, विशेष रूप से मछुआरों के बीच बहुत संकट है। क्योंकि मछली की कई प्रजातियां विलुप्त या कम हो गई हैं। नदी को नुकसान और मछली पकड़ने में कमी ने मछुआरों की आजीविका को काफी प्रभावित किया है, जिसमें आस पास के समुदाय के लोग उद्योगों / कार्यस्थल पर प्रदूषकों के संपर्क में आते है और बीमार होते है ,तबीयत खराब होने के डर से नौकरी छोड़ने पर मजबूर है।

हरित न्यायालय को संयुक्त समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट के माध्यम से यह भी सामने आया की एन्नोर क्षेत्र में, वेट्लैन्ड के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र, जिसमें नामक के कारखाने, मैंग्रोव और अन्य जलाशय , 1996 में 855.69 हेक्टेयर से घटकर 2022 में 277.92 हेक्टेयर हो गए हैं। इस बीच, इसी अवधि के दौरान, बांधकाम और निर्मित भूमि क्षेत्र 0 हेक्टेयर से बढ़कर 259.87 हेक्टेयर और फ्लाई ऐश से आच्छादित क्षेत्र 0 हेक्टेयर से बढ़कर 260.28 हेक्टेयर हो गया।

आज भी एन्नोर क्षेत्र में लोग न सिर्फ थर्मल पावर प्लांट के प्रदूषण से किन्तु बंदरगाह, पेट्रोलियम और गैस प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, केमिकल इंडस्ट्री इत्यादि से होने वाले प्रदूषण से जूझ रहे है। एन्नोर और चेन्नई का पर्यावरण सतत दूषित हो रहा है। आज भी वहाँ एन्नोर SEZ थर्मल पावर प्लांट पुराने फ्लाई ऐश तालाब में बन रहा है जिसके नीचे कोई लाइनिंग नहीं की गई। नए बंदरगाह प्रस्तावित है, नए थर्मल पावर प्लांट बन रहे है। पुराने थर्मल पावर प्लांट जिन्होंने अपने जीवन काल मे प्रदूषण कर लोगों का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया वह भी बंद पड़े है और प्रदूषण का तांडव जो शुरू हुआ था वह आज भी जारी है। हम समझते है की इस सब की सबसे प्रथम जबाबदारी सरकार के साथ साथ उन वित्तीय संस्थाओं की भी बनती है जो अपने वित्तपोषण से इस तबाही को होने दे रहे है। इस क्षेत्र मे बनाए जाने वाले सारे थर्मल पावर प्लांट्स को REC (रुरल इलेक्ट्रफिकैशन कोरपोरटीऑन) ने और PFC (पावर फाइनांस कोरपोरेशन) ने वित्तीय सहायता दी है। यह वित्तीय संस्थाएं अगर अपना वित्तपोषण समझदारी से और जांच कर करतीं तो दशकों से प्रदूषण का दर्द सहन करते लोगों के लिए यह विनाश इतने हद्द तक नहीं बढ़ता।

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