निजी कंपनियों के लिए कोई रुकावट नहीं हैं, आम चुनाव

क्या ठेठ चुनावी गहमा-गहमी के दौरान कोई निजी कपनी अपनी बिजली की कीमतों में इजाफा कर सकती है? और ऐसा करते हुए उसे कोई देख, टोक तक नहीं पाता? गौर से देखें तो बिजली...

विश्वबैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों से टकराते जनांदोलन 

विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन के ब्रेटेनवुड में खादी की गई वैश्विक वित्तीय संस्थाओं की ताक़त एक ज़माने में बेतेरह बढ़ी थी। वे अपनी मनमर्ज़ी के विकास की अवधारणा को दुनियाभर पर थोप सकती थीं।...

शहर-गाँव के बीच की खाई तेज़ी से बढ़ा रहा विकास का आधुनिक मॉडल

अधोसंरचना, ख़ासकर ऊर्जा के नाम पर  हमारे देश में जो हो रहा है उसे सार्वजनिक सम्पत्ति की खुल्लाम-खुल्ला लूट के अलावा क्या कहा जा सकता है? मध्यप्रदेश सरीखे राज्य में जहाँ ख़ुद सरकारी दस्तावेज़ों...