किसानों के लंबे आंदोलन की वजह से बिजली बिल को वापस ले लिया गया था। लेकिन अब सरकार इसे पार्लियामेंट के अगले सत्र में वापस लाना चाहती है। किसानों के साथ किए गए वादे को भूल कर, इस बिल के बहाने सरकारी बिजली कंपनियों को बचाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन असल में लगता है कि इस बिल का मकसद सरकारी कंपनियों को बंद करना और कुछ कंपनियों का एकाधिकार लाना है।
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